4.विभिन्न मतों से भक्ति के लक्षणतलक्षणानि वाच्यन्ते नानामतभेदात् ||१५|| पूजादिष्वनुराग इति पराशर्यः। ।।१६।। कथादिष्विति गर्गः। ।।१७।।अर्थ : (नारद जी) अब नाना मतों से भक्ति के लक्षण कहते हैं ।।१५।। पूजा आदि में अनुराग भक्ति है, ऐसा पाराशर वेद व्यास जी कहते हैं ॥१६।। गर्ग जी के अनुसार भक्ति, कथा आदि में अनुराग है ।।१७।।नारदजी ने इन भक्ति सूत्रों में अपने दृष्टिकोण से भक्ति की महिमा का गुणगान किया है। प्रस्तुत सूत्रों में उन्होंने भक्ति पर अन्य महान भक्तों का भी मत प्रकट किया है। सूत्र १६ में नारद जी कहते हैं– ऋषि पाराशर, वेद व्यास जी के अनुसार पूजा-पाठ, ईश्वर स्तुति, अर्चना आदि में