अध्याय 1: धूल और हौसलेउत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव रामगढ़ की कच्ची गलियों में दिन-रात धूल उड़ती थी। वहीं, एक टूटी-फूटी झोपड़ी में शिवा नाम का लड़का अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसके पिता रामकिशोर एक साधारण किसान थे, जिनके पास एक बीघा ज़मीन थी, वो भी कर्ज में डूबी हुई। माँ कमला देवी खेतों में मजदूरी करती थीं।शिवा की उम्र भले ही छोटी थी, लेकिन उसकी सोच बड़ी थी। उसके पास स्कूल बैग नहीं था, किताबें फटी हुई थीं, चप्पलें घिसी हुईं थीं — पर आँखों में सपना था: "कुछ ऐसा करूँ कि दुनिया जाने कि