वरुण की साँसें थम सी गईं।उस राक्षसी पुरुष की आँखों में एक ऐसा खिंचाव था, जैसे वो समय के आर-पार देख सकता हो।**"तुम मुझे जानते हो?"** वरुण ने धीमे स्वर में पूछा, लेकिन उसकी उंगलियाँ किताब के पन्नों पर कस गईं।वो प्राणी उठा—उसकी लंबाई इंसानों से कहीं अधिक थी। काले लिबास में लिपटा उसका शरीर आधा धुएँ सा लग रहा था, जैसे वो स्थिर नहीं, बल्कि लहराता हो।**"जानता हूँ?"**उसकी हँसी गूँजी और दीवारों से टकरा कर गूंज उठी।**"वरुण, तुम मेरे उत्तर नहीं—मेरे परिणाम हो।"**वरुण ने झटके से किताब खोली।पन्नों पर लाल अक्षरों में एक मंत्र उभरा:**"अग्नि-चक्र मंत्र—रक्षा और आग का