तक्ष ने त्रिशूल लाकेट छू लिया....अब आगे.........विवेक तक्ष को उकसाते हुए बोला......" पकड़ो मुझे आओ..."विवेक की बात सुनकर तक्ष घबरा जाता है लेकिन अपने घबराहट को न दिखाते हुए तक्ष अदिति के पास जाकर उसके हाथ को पकड़कर कहता है....." तुम्हें मुझे पर भरोसा नहीं है अदिति और ये क्या लगा रखा है मेरे साथ... मुझे यहां आना ही नहीं चाहिए था...."अदिति तक्ष को समझाती हुई बोली..." तक्ष तुम डर क्यूं रहे हो मुझे तुम पर भरोसा है जाओ पकड़ लो उस लाकेट को..."अदिति के कहने से तक्ष धीरे धीरे आगे आकर... त्रिशूल लाकेट को पकड़कर छोड़ देता है.... विवेक