पुर्णिमा - भाग 4

आज सुबह से ही घर में तनाव का महौल था। कोई एक दूसरे से ढंग से बात नहीं कर रहा था। उधर सासू मां के ताने सावन की झड़ी की तरह पूर्णिमा पर बरस रहे थे।और सर पर बैठाओ लाडली को और पढ़ाओ और लिखाओ । नाक कटवा कर रख देगी समाज में कहीं मुंह दिखाने योग्य नहीं रहेंगे। बताओ ? उसे अपनी मर्जी से जीवन साथी चाहिए? हमारे जमाने में तो लड़कियां मुंह तक नहीं खोलती थी जिस खुटे से बांध दिया बस बंद जाती थी । सासू मां ने आज फिर तेवर बदल दिए थे।और एक यह है इतनाअच्छा रिश्ता