किशोर अहले सुबह नेहरू गार्डन की ओर चल पड़ा। वह ज्यादा बातचीत पसंद नहीं करता, यही वजह है कि अक्सर अकेले ही निकल जाता है। आज नेहरू गार्डन जाने की खास इच्छा तो नहीं थी, मगर चारदीवारी की चुप्पी और चरमराते पंखों की आवाज़ से ऊबकर उठ खड़ा हुआ। पायजामा और टी-शर्ट धोने को रखे थे, सो जनाब जींस-कुर्ता पहनकर निकल गए। हाँ, निकलते वक़्त डायरी और बटुआ लेना नहीं भूले।पंद्रह-बीस मिनट का फासला पैदल तय कर, नेहरू जी की मूर्ति को प्रणाम किया। गार्डन में नज़र दौड़ाई तो दूर एक कोने की खाली बेंच पर दृष्टि ठहर गई और