"पेड़ पे बैठी थी पिशाचिनी" – एक डरावनी और भावनात्मक कहानी, जो सन् 1995 की एक सच्ची घटना से प्रेरित है:साल 1995, जगह – उड़ीसा का एक छोटा सा गांव।14 साल का सुमित अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसके पिता गांव में एकमात्र किराने की दुकान चलाते थे। परिवार मध्यमवर्गीय था, पर सुखी था।पिता अक्सर कहते थे –"सुमित, अब बड़ा हो गया है। दुकान में हाथ बंटाया कर!"लेकिन सुमित को तो बस दोस्तों के साथ मस्ती करनी थी।एक दिन उसके दोस्त की शादी थी।मां बोली –"आज अमावस्या की रात है बेटा, मत जा। मन बहुत अशांत है आज!"लेकिन पिता