कहानी या सच ? - भाग 4

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---अंधेरे का मेहमानबारिश की बूँदें लगातार छत पर गिर रही थीं। आसमान में बिजली चमक रही थी, और हर बार जब बिजली कड़कती, इंस्पेक्टर सुखी को ऐसा लगता जैसे किसी की परछाई उस कोठी के पुराने दरवाज़े पर सरक रही हो।वो जगह वीरान थी — बाहर से देखने पर लगता कि सालों से कोई नहीं आया। लेकिन जब सुखी ने दरवाज़ा खोला, तो अंदर फैली धूल के बीच एक चीज़ चौंकाने वाली थी — दीवार पर टंगी प्रीत की मुस्कुराती हुई तस्वीर।“ये तस्वीर यहाँ कैसे आई?” सुखी ने बुदबुदाते हुए अपने हाथ से उस तस्वीर को छूआ — तस्वीर एकदम