अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 6

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प्रिय डायरी " अंतर्मन "बड़े दिनों बाद फिर तुमसे मन की बातेँ साझा करने आया हूँ, व्यस्तता है, लिखने के लिए मन भी उद्वेलित होता है किन्तु काम के कारण समय नहीं दे पा रहा हूँ ।आज मन मे कुछ है इस लिए चुभा। मैं बैठे बैठे आम का अचार उठा कर टेस्ट कर रहा था। वाह क्या स्वाद है... । ये जाना पहचाना स्वाद कई वर्षों के बाद आज इस बार बने घर के अचार मे। दो चार दिन पहले मेरे मित्र घर से आ रहे थे तो उनके साथ घर से आम का अचार भी आया था। मुझे याद है कि, मैं