रहस्यमयी तस्वीरसंजना वही खड़ी थी, हल्की ठंडी हवा उसके चेहरे से टकरा रही थी। चारों ओर घना अंधकार था, सिर्फ वहां एक छोटा सा बल्ब था उसकी हल्की रोशनी ही थी, जो जगह-जगह पर गिर रही थी। अचानक, उसे अपने कंधे पर एक हल्का सा स्पर्श महसूस हुआ। उसकी धड़कन तेज़ हो गई। उसने तुरंत पलटकर देखा और एक झटके में पीछे हटी। यह क्या? उसके ठीक पीछे हर्षवर्धन खड़ा था।हर्षवर्धन की आँखों में हल्की शरारत थी, लेकिन संजना के चेहरे पर उड़ी हवाइयाँ देखकर वह मुस्कुराया और हल्के मज़ाकिया लहजे में बोला,"इतनी घबराहट? जैसे मैंने तुम्हें रंगे हाथों पकड़