क़दररामू एक छोटे से गांव में रहने वाला गरीब किसान था। उसका एक बेटा था, सोनू, जो शहर में पढ़ाई कर रहा था। रामू ने अपनी सारी जमा पूंजी अपने बेटे की पढ़ाई में लगा दी, क्योंकि वह चाहता था कि उसका बेटा पढ़-लिखकर एक बड़ा आदमी बने।सोनू पढ़ाई में होशियार था। कुछ सालों में उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई। नौकरी लगते ही सोनू शहर में ही रहने लगा और धीरे-धीरे उसने गांव आना बंद कर दिया। रामू हर त्योहार पर उसके लौटने का इंतजार करता, लेकिन सोनू बहाने बना कर