कोई मेरा नहीं

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कोई मेरा नहीं. . . कहानी / शरोवन       'मैं किसका हूँ?' पता नहीं. कौन मेरा है? है ही नहीं.' किसी शायर के समान उपरोक्त पंक्तियों की दिल पर चोट मारने वाली, पत्थरों जैसी विचारधाराओं की एक लंबी-सी पागलों समान जानलेवा लहर ने जब अपनी एक ज़ोरदार कसरत-भरी टक्कर मारी तो अपने ख्यालों में गुम बैठे हुए रंजन के दिल-ओ-दिमाग की सारी कड़ियाँ उसके दिमाग की कोख तक हिल गईं. उसे लगा कि, जैसे अचानक ही किसी ने उसे उठाकर बड़ी बे-दर्दी से किसी पहाड़ी से नीचे फेंक दिया है. इस प्रकार कि, उसके बदन का पोर-पोर  अपने