जैसे को तैसा? Tit for Tat? क्या यह सही है?प्रस्तुत है Friend or Foe Book का Episode 02.पूज्य श्री कहते हैं “वैर की शांति, वैर से नहीं!”हमें तो यह सोचना है कि जिस व्यक्ति के साथ हमारे अंतर में शत्रुता खडी हो गई है और एक दूसरे के सामने भी देखने को तैयार नहीं है, वैसे व्यक्ति के प्रति भी यदि हम दिल से सद्भावना का चिंतन करे तो हमारा भी ऐसा सौभाग्य आदि खडा हो सकता है जिससे शत्रु के मन में घुसपेठ कर चुकी शत्रुता खतम हो जाए और अपने साथ मित्रता के लिए वह अपने आप हाथ