बाजार - 5

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पाँचवा धारावायक ( बाजार) सौदा काफायती हो या ना हो, इसका कभी कभी मूल्य अधिक चुकाना पड़ जाये तो एक दिन तुम ये सोचते हो, कि तुम बोझ से जयादा कुछ नहीं हो। पर ऐसा तुम सोचते हो, मन मे, जहन मे... आत्मिक फैसला कया हैं, गुज़र कर देखो कभी लोगों की पहचान मे। कभी कभी बहुत गलत फैसले हम खुद ही ले लेते हैं... ऐसा नहीं भी होता.. देव ने पढ़ा था, " दिल की गहरायी से बोलना हैं तो सिर्फ बोलो नशा पी कर, जो भी बोलोगे... होश मे, वो इतहास बन जायेगा। इस लिए उसने खलनायक के