अंधकार का देवता - 3

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"अब खेल शुरू होगा..." आदमी ने बुदबुदाया।फिर, एक फाइटर की तरह, उसने दोनों हाथों की मुट्ठी भींची और उन्हें आपस में टकराया।लिफ्ट की घंटी बजी।दरवाजे खुले।आदमी बाहर निकला, उसकी आँखों में वही सुलगती हुई आग थी। जैसे ही उसने रिसेप्शन की ओर कदम बढ़ाया, वहाँ खड़े दो कर्मचारी उसे देखकर घबरा गए। उनमें से एक आदमी हड़बड़ा कर पीछे हट गया और बुदबुदाया, "ये... ये क्या हो रहा है? उसके हाथ... जल रहे हैं?"प्रिया, जो अब तक अपनी सीट पर बैठी थी, खड़े होते ही ठिठक गई। उसकी नज़र सीधे उस आदमी के हाथों पर पड़ी, जो अब भी सुर्ख