(बाजार -4)सुभाष से मिलने के बाद माया ने कहा था " उसको रोल दो, बस, कही भी फिट करो उसे। " "इतनी उतावली पहले नहीं देखा, माया --- कया खलनायक का रोल इतना कॉस्टली दू उसे।" सुभाष ने थोड़ा न नुकर सी की। " तुम्हारे लिए मैंने कया कया नहीं किया... कि आज सब बताने के बाद ऐसा करोगे। " माया के माथे पर त्यूड़ी थी।सुभाष हसता हुआ बोला --- " ब्यगोट गुस्से मे जचती हो..कया लगता हैं, उसे ऐसे ही रोल दें दू। दिखा आओगी नहीं दिल्ली के बादशाह सलामत को। " सुभाष हसते हसते बोला... " हाँ, कल