कब्रगाह में तब्दील हुआ पर्यटन स्थल

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कश्मीर—जिसे धरती का स्वर्ग कहा गया था, आज वह नरक से भी बदतर हो चुका है। पहाड़ों की शांत छांव में जब सैलानी सुकून की तलाश में पहुंचे थे, तब शायद उन्होंने नहीं सोचा था कि यही वादियाँ उनका अंतिम दृश्य बन जाएँगी।एक तरफ भारत अपने लोकतंत्र की मजबूत छवि दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है, वहीं दूसरी तरफ उसके ही नागरिक, उसकी ही धरती पर, सिर्फ इसलिए मारे जा रहे हैं क्योंकि वे ‘बाहर से आए थे’।22 अप्रैल 2025 की तारीख अब सिर्फ कैलेंडर में एक दिन नहीं रही, वह अब एक खून से सनी शर्म है, एक खरोंच