बाजार - 2

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उपन्यास ( बाजार )                             धारावाक (2)                       बाजार मे जज्बातो का मलयाकन होता हैं, भावुकता का भी मूल्य लगता हैं, जनाब मंडी हैं..... हर चीज विकती हैं, बदले मे ख़ुशी मिलती हैं या गमी... ये तुम्हारी किस्मत हैं। कया नहीं मिलता... सौदा जिस्मो का भी होता हैं, कैसा जिस्म सौदा वैसा ही... हाँ बरखुरदार जिंदगी मे कुछ गम हम खुद ले लेते हैं, मशहूरी के नाम पे..इसी को ज़िन्दगी का काल चक्र कहते हैं।                   बम्बे का वो इलाका जिसका नाम आबादी.. यहाँ माया और बेटी संग उसके दूर के मामा रहते थे। माया खुश थी। आज पहली दफा वो किसी मर्द