बाजार - 1

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     ये उपन्यास एक धांसू किरदार की सत्य कहानी पे लिखना उतना ही कठिन हैं जितना बम्बे की हीरो मोपड कपनी से निकलना कठिन होता हैं, यातायात ही इतना की पूछो मत। ये किरदार फिल्मो तक का सफर कैसे तेह करता हैं, कौन से समझोतो की कहानी रचता हुआ ये उपन्यास कया कया और समझोतो की घोषणा करता हैं, यही बस तकलीफो के बाद पल दो पल ख़ुशी के होते हैं जीने को, यही दर्शाता हुआ कब ज़िन्दगी की शाम हो जाती हैं, बस यही जिंदगी हैं बस यही जीना हैं बस, और सपने कैसे संग संग सफर करते