"सपने देखो, पर खुली आँखों से, और नींद को पीछे छोड़कर। क्योंकि जो नींद में खो जाए, वो सपना नहीं, धोखा होता है।"ये लाइन आरव के कमरे की दीवार पर चिपकी थी। एक पुराना, थोड़ा सा फटा हुआ चार्ट पेपर था वो, जो पिछले पाँच सालों से वहीं टँगा था। लेकिन सच तो ये था कि आरव ने खुद बहुत समय से कोई सपना नहीं देखा था — या शायद, देखना छोड़ दिया था।आरव दिल्ली के एक पुराने मोहल्ले में, एक कमरे के मकान में रहता था जहाँ बगल में माँ का सिलाई मशीन होता था और कोने में बीमार