चाय के किस्से

1: आख़िरी चायरेलवे स्टेशन की बेंच पर बैठा था वो अधेड़ उम्र का आदमी। हाथ में काँपती उंगलियों से थामा हुआ कुल्हड़, और नज़रें प्लेटफॉर्म के उस सिरे पर जहाँ से ट्रेन आने वाली थी।बगल में बैठी लड़की—करीब पच्चीस की—ने उसे देखते हुए पूछा,“किसका इंतज़ार है, बाबा?”वो मुस्कराया, जैसे बहुत पुरानी याद किसी चाय की खुशबू से लौट आई हो।“उसका... जो कभी गई थी कह कर कि दो साल में लौटूँगी... पैंतीस साल हो गए हैं।”लड़की ने हैरानी से देखा, “क्या आपको यक़ीन है कि वो आएगी?”“न यक़ीन है, न उम्मीद... बस ये चाय हर शाम यहाँ पीता हूँ... उसी