पुर्णिमा - भाग 3

आज सुबह से ही घर में खुशी का माहौल था। सब लोग खुशी-खुशी तैयार हो रहे थे। सभी को शशि के साथ उसके समारोह में जाना था। सब लोग बहुत खुश थे। पूर्णिमा को भी जाना था शाशि के साथ पर उसके पहले उसे सबके लिए चाय-नाश्ते का इंतजाम करना था। वो सुबह से ही अपने काम में जुट गई थी और शाशि.. उसकी खुशी का तो ठिकाना  ही ना था। उसके पैर  जैसे जमीन पर ही नहीं पड़ रहे थे सुबह से ही पूरे घर मे चिड़िया की तरह चहक रही थी ।जैसे बिना पंखों के ही उड़ रही हो