सुंदर पक्ति से जुडी कहानी... काफाला....घंटी और आरती की आवज़ ने गली की सुनसमानता को तोड़ दिया था, सेठ दूनी मल ने पिछला दरवाज़ा खोला ही था, कि चुनी लाल ने आरती करते करते चुप रहने का सकेत दिया... और आपने पास बुलाने लगा, इशारे से ही, थोड़ी देर बाद एक परिदा नुकड़ से धीरे से उड़ा... और उसके पखो की आवाज़ कितनी देर हवा मे गुज़ती रही थी। कहने को जो मर्ज़ी हु... चुनी लाल का भी धयान बिलकुल भी श्री लख्मी प्रिये के चरणों मे नहीं, बल्कि मायाजाल के चक्र मे घुसे हुए था।