लाइब्रेरी की वो खिड़की वाली टेबल अब उनकी दुनिया का हिस्सा बन चुकी थी।जहाँ कभी किताबें और नोट्स रखे जाते थे, अब वहाँ अनकहे जज़्बात बिखरने लगे थे।अन्विता ने खुद को कभी इतना जुड़ा हुआ महसूस नहीं किया था — न किसी इंसान से, न किसी पल से। लेकिन अब हर शाम की बेसब्री बस उसी एक शख्स के लिए होती थी — आरव मेहता। पर कल उसकी गैरहाज़िरी ने दिल के किसी कोने में हल्की सी बेचैनी भर दी थी।आज जब वो लौटा, तो चेहरे पर वो मुस्कान थी, लेकिन आँखों में कोई थकन, कोई बोझ छुपा हुआ था।"सब