पूर्णिमा ओ पूर्णिमा, कहां चली गई। आज खाना मिलेगा कि नहीं, पता नहीं सारा दिन क्या करती रहती है।चार लोगों का खाना बनाने में चार घंटे लगाती है।बस...भेज दिया!पुर्णिमा चुपचाप रसोई में सब सुनती रही बस इतना ही कह पाई _रोटिया बन गई है माजी बस अभी परोस देती हु ।अगर शशि भी आ जाती तो...पुर्णिमा अपनी बात पुरी करती इससे पहले ही सासुमा बोल पड़ी __आ जाएगी स्कूल ही गई है लन्दन नहीं गई है पता है आज उसका रिजल्ट आने वाला है, कोई तुफान नहीं आ रहा। वो नहीं आएगी तब तक हमें खाना नहीं मिलेगा क्या?पुर्णिमा चुपचाप खाना परोसने