मेरा रक्षक - भाग 11

कुछ तो बदल रहा हैरणविजय की नींद टूटी, लेकिन वो अपनी आँखें कुछ सेकंड तक बंद रखे रहा। उसके जिस्म पर अभी भी मीरा की बाँहें थीं…उसके सीने से सटी मीरा की गर्म साँसे, उसकी गर्दन को छू रही थीं।धीरे-धीरे उसने आँखें खोलीं…हल्की-सी रौशनी पर्दे से छनकर अंदर आ रही थी, और उसकी पहली नज़र गई — मीरा पर।मीरा ठीक उसके पास थी। इतनी पास कि उसकी एक-एक साँस रणविजय की त्वचा पर उतर रही थी। उसकी लटें कुछ उलझी हुई थीं, माथे पर एक बेक़रार सी मासूमियत थी… और होंठों पर हल्की-सी शांति। उसे ये सब एक सपने जैसा