10. सुकून की नींद मीरा उसे एकटक देखती रही। वो चेहरा जिसे पूरी दुनिया ‘खौफ’ कहती थी, आज किसी भूले हुए बच्चे सा लग रहा था — मासूम, टूटा हुआ, और बहुत थका हुआ। मीरा की पलकों पर अब नींद की परछाइयाँ उतरने लगी थीं। रात भर की थकावट, उस कमरे का सन्नाटा, और रणविजय की गर्म साँसे — सबने मिलकर उसे भी अपनी बाहों में भर लिया। उसने धीमे से अपना हाथ रणविजय के सिर पर रखा, और खुद भी उसके बगल में लेट गई। वो रणविजय को अपनी बाँहों