ख़मीर

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पुस्तकालय में उस समय अच्छी- खासी भीड़ थी। इश्यू काउंटर पर अतिव्यस्त होने के कारण सुधा मुझे पुस्तकालय में प्रवेश करते हुए नहीं देख पायी। चपरासी द्वारा मैं ने ही उसे संदेश भिजवाया कि उस के निर्देशक के कमरे में मैं उस की प्रतीक्षा कर रहा था। हाथ का काम निपटा कर सुधा जब वहां पहुंची तो छुट्टी देने के मामले में कठोर व कंजूस रहते हुए भी उस के निर्देशक ने उसे मेरे साथ जाने की अनुमति सहजता से दे दी।   “क्या बात है?”  निर्देशक के कमरे से बाहर निकलते ही सुधा कांपने लगी। “अभी बताता हूं,” लंबे