रीमा एक आम गृहिणी थी। दिन सुबह 5 बजे शुरू होता और रात को सबके सो जाने के बाद ही खत्म होता। पति की जरूरतें, बच्चों की पढ़ाई, सास -ससुर की सेवा - हर किसी की जिंदगी का वह अहम हिस्सा थी , पर अपनी जिंदगी में वह कहीं नहीं थी। कोई उसे "मां" कहता ,कोई"पत्नी", कोई "बहु" लेकिन रीमा को जैसे कोई जानता ही नहीं था ।कभी कॉलेज के जमाने में वह बहुत अच्छा लिखती थी । निबंध प्रतियोगिताएं, भाषण - हर जगह उसकी पहचान थी लोग कहते थे तू एक दिन बहुत नाम करेगी बहुत बड़ी लेखिका बनेगी तेरा