गरिमा को देखते ही हर्ष का चेहरा खिल गया। उसकी नज़र वहाँ से हटने को तैयार ही नहीं हो रही थी। वह एक टक उसे देखे ही जा रहा था। वे सब बैठकर बातें कर रहे थे। आज ऐसा लग रहा था मानो हर्ष के परिवार का इंतज़ार ख़त्म होने वाला है। इसी बीच गरिमा और हर्ष के बीच भी बातचीत का सिलसिला शुरू हो चुका था। किंतु सबके सामने गरिमा असहज महसूस कर रही थी। इस बात को हर्ष समझ रहा था। वे दोनों एक दूसरे से अकेले में और अच्छे से बात करना चाहते थे। तब हर्ष ने