नैना की साँसें अब तेज़ थीं। उस टूटी कब्र के भीतर रखा आईना उसे खींच रहा था, जैसे किसी और दुनिया का दरवाज़ा हो।वो झुकी। उसने टॉर्च नीचे डाली… आईना एकदम साफ़ था — खौफनाक हद तक साफ़।जैसे ही उसने झाँक कर देखा… उसमें उसका चेहरा नहीं था।बल्कि वहाँ एक दूसरी "नैना" थी — वो नैना जो पहले रात में लड़कियों को लुभाती थी, फिर सुबह उनकी चीखों को दीवारों में बंद कर देती थी।---आईने से एक आवाज़ आई:"तू अब भी सोचती है तू एक विक्टिम थी? नहीं दीदी… तू गुनहगार थी। रिया तो सिर्फ तेरे पापों की आवाज़ थी।"नैना पीछे हटने लगी… लेकिन उसके