"खेल खेल में - जादूई"- (पार्ट -४)जादूई जंगल में बुढ़े बन गये शुभ को छोटी-सी स्नेहा उसे अपना पिताजी बताते हुए घर लेकर आती है।स्नेहा अपनी माता को आवाज देती है और एक बुढ़ी औरत झोपड़ी से बाहर आती है। उसे देखकर शुभ चौंक जाता है।शुभ बोला:-"तुम भी .. तुम भी? तुम तो वोही हो ना!" स्नेहा:-"देखो.. माँ पिताजी आपको पहचानते है ... आप तो कहते थे कि वो भूलक्कड है। अब वापस मत झगड़ना। मैं थक चुकी हूं। माँ तुम इस तरह से पिताजी से लड़ते रहती हो और पिताजी घर से बाहर जाते है।फिर आप नहीं जाते . उनकी