( 34 ) किश्त शिमले की वही सकरी गली मे निज़ाम उनको ले आया था। अजनबी के नाम से बात नहीं चले गी, अजनबी जय चंद एक मिलटरी रिटायर अफसर था... जो भेजा था अतुल ने हेडक्वाटर से, वो घुटनो तक बूट पहनने से वैसे जजमेंट मे था। कितना तकलीफ दे रहा होगा सफर, वास्तव के लिए... किसी को भी कानो कान खबर नहीं थी, कि कोई फौजी आया हैं... वो भी रिटायर। " निज़ाम ने अगली सकरी गली से रुकने के लिए