रात अब अपनी पूरी शिद्दत के साथ उन दोनों के बीच सिमट रही थी। कमरे की हल्की रौशनी में समीरा की आँखें और भी चमक रही थीं, उसके होठों पर हल्की कंपन थी, और उसकी साँसें अब भी तेज़ थीं।दानिश ने उसकी आँखों में देखा—वो आँखें जो अब पूरी तरह समर्पित थीं, जिनमें चाहत का एक अथाह समंदर था।उसने धीरे से समीरा की हथेली को चूमा, फिर अपनी उंगलियों को उसकी उँगलियों में उलझाते हुए उसे और करीब कर लिया।"समीरा…" उसकी आवाज़ में अब केवल चाहत ही नहीं, बल्कि एक गहरी मोहब्बत भी थी।समीरा ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी