मंजिले - भाग 25

(294)
  • 3.4k
  • 1
  • 1.3k

                  ---- एक अजनबी ----                 वर्षो बाद किसी की याद आये.. "तो उसे कभी आपना जान लेना,  या मान लेना " बड़ी मूर्खता होती हैं। याद रखना," जो आपने हैं, वो अजनबी हैं। तो अजनबी तो फिर अजनबी से भी बदतर हुआ न।" शतरज के खिलाड़ी हो, साहब " कभी शे राजे को पेयादा दे जाता हैं। " गोली कभी चलती नहीं, आवाज करती हैं, साहब बाहुदर। " किसी के आगे कितना गिर सकते हो, मुंडी तो जमीन पर ही रहेगी, बारखुरदार। " जीना किसे