वशीकारिणी - 2

  • 639
  • 237

..... अब आगे.......शक्ति अपनी इच्छा को ढूंढ़ने के लिये उस पेपर पर लिखे पते पर जाने के लिए सबसे पूछता है... पर किसी को उस पेपर पर लिखे पते के बारे में कुछ नही पता था.... सूरज की रोशनी हल्की होने लगी थी... धीरे धीरे रात हो चुकी थी, शक्ति सुबह ढूंढने की सोचकर अपने चाचा चाची के पास पहुंचता है जोकि इस वक्त खाने की तैयारी में लगे थे....डोर की बेल रिंग करके शक्ति अपने हाथ पकड़े पेपर को अपनी जेब में रख लेता है... थोड़ी देर बाद खुलता है, सामने अपने चाचा मिस्टर धीरज को देखकर खुशी से