संत श्री साईं बाबा - अध्याय 42

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बाबा ने किस प्रकार समाधि ली, इसका वर्णन इस अध्याय में किया गया है।प्रस्तावनागत अध्यायों की कथाओं से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि गुरुकृपा की केवल एक किरण ही भवसागर के भय से सदा के लिये मुक्त कर देती है तथा मोक्ष का पथ सुगम करके दुःख को सुख में परिवर्तित कर देती है। यदि सद्गुरु के मोहविनाशक पूजनीय चरणों का सदैव स्मरण करते रहोगे तो तुम्हारे समस्त कष्ट और भवसागर के दुःखो का अन्त होकर जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा हो जाएगा। इसलिये जो अपने कल्याणार्थ चिन्तित हों, उन्हें साई समर्थ के अलौकिक मधुर लीलामृत का पान करना