मंजिले - भाग 24

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                        ----उड़ान ----                    ये पिक्चर एक पतंग चढ़ने की, कब मेरे कैमरे मे कैद हो गयी, मै नहीं जानता। पतंग कड़याली पेड़ मे फ़स गयी। कया करती... खींचने से फाड़ गयी। फिर कया था, डोर टूट गयी।                     अलफ़ाज़ भी कुछ ऐसे ही थे, टूट गए। एक सुरत एक सास के।                       सोचने की तुम तैयारी तो रखो। शून्य कब तक रहोगे, जमाना हैं,