हनुमान साठिका लेखक महात्मा बलदेव दास कृत - 3

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महात्मा बलदेव दास हनुमान साठिका   ( भाग ३) काहू के कुटुम्ब काहू द्रव्य ही को भारी गर्व काहू भुज दर्प काहू गुण को गरूर है।  काहू भूप मान काहू रूप अभिमान सान दीनन अबल जानि सीदत जरूर है ।।  ताही ते सभीत तोहि टेरे बलदेव दास रक्षे  करि माफ बेसहूर को कसूर है।  ललित लंगूर से लपेटि दले झूरन को शूरन में शूर महावीर मशहूर है ॥२५॥   महिमा विशाल बाल रूप अंजनी को लाल राम अनुराग रंग रंग्यो अंग अंग है।  राममयी दृष्टि मुख राम नाम इष्ट हिये राम ही को ध्यान राम प्रेम को उमंग है ॥