महात्मा बलदेव दास हनुमान साठिका 2 पुनः हनुमान अष्टपदी कोटिन सुमेरु से विशाल महावीर वपु कोटिन तड़ित तेजपुंज पट लाल है। कोटिन दिनेश दर्प मर्दन वदन दिव्य पिगंदृग जागे ज्वाल भृकुटी कराल है ॥ कोटिन कुलिश चूर करन रदन जाहि, वज्र भुज-दंड उर लाल मणिमाल है। ललित लंगूर बलदेव दुःख दूर करें, दीनन दयालु रूप दुष्टन को काल है ॥११॥ लाल मणि मंडित मुकुट लाल कुंडल है लाल मुख मंडल सिन्दूर लाल भाल है। लोचन विशाल लाल, मानो प्रलय काल ज्वाल लाल भुज पंजा नखस्पेटा लाल लाल है ।। ललित लंगोट गोट ललित लंगूर कोट लाल