पराए बच्चेदयाल बाबू की पत्नी सुनंदा बार बार दरवाज़े तक जाकर बाहर झांकती थीं। वह बेचैनी से अपने पति के लौटने की राह देख रही थीं। उनका दिल घबरा रहा था। इधर उनके पति दयाल बाबू को खुलेआम धमकी मिली थी। सुनंदा ने उन्हें समझाया था कि कम से कम कुछ दिनों के लिए शांत हो जाएं। पर दयाल बाबू ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में हंसकर टाल दिया।"सिर्फ धमकी देना जानते हैं ये लोग। मैं इनकी धमकियों से डरकर चुप नहीं बैठूँगा। तुम फिक्र मत करो। सच की लड़ाई लड़ने वालों का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता।"सुनंदा