पीड़ा में आनंद - भाग 14 - एक टुकड़ा आसमान

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  एक टुकड़ा आसमानबटलर ने फूलों का एक बुके लाकर समीर को दिया। समीर ने कार्ड निकाल कर पढ़ा। उसके एक मित्र ने जन्मदिन की शुभकाना भेजी थी।"हैप्पी बर्थ डे सर। आज आप बहुत हैंडसम लग रहे हैं।" बटलर ने अदब के साथ कहा। समीर ने बुके बटलर को पकड़ाते हुए पूछा," सारी तैयारियां हो गईं। "" जी सर "" ठीक है तुम जाओ "बटलर चला गया। समीर अपनी व्हीलचेयर लेकर खिड़की पर आया। यहाँ से स्विमिंग पूल दिखाई पड़ रहा था। आज उस पूल पर वह अपने दिल की बात कहने वाला था। समीर को मारिया का इंतज़ार था।मारिया उस