पीड़ा में आनंद - भाग 13 - उपवन

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 उपवन सुहेल कैब से उतरा। उसने सामने देखा। मकान के गेट पर एक बोर्ड था। उस पर लिखा था 'उपवन'। वह गेट पर पहुँचा। उसने अपना परिचय दिया। गार्ड ने उसे अंदर जाने की इजाज़त दे दी। वह अंदर गया। एक हॉल में बहुत से बच्चे थे। उसने दूर से देखा। उसकी भाभी रोमाना उन छोटे छोटे बच्चों के बीच बहुत खुश दिख रही थी। पाँच साल पहले जिस ग़म में डूबी रोमाना को उसने देखा था वह वहाँ नहीं थी।रोमाना की निगाह सुहेल पर पड़ी तो वह उसके पास जाकर बोली,"अाओ सुहेल.... तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी।"सुहेल ने चारों तरफ