जीवनसाथी नैना ने वॉशरूम में जाकर अपना मुंह धोया। आईने में अपना चेहरा देखा। उसकी आँखें सूजी हुई थीं। वह देर तक रोई थी। उसके दुख में ढांढस बंधाने वाला कोई नहीं था। इस वह समय अपने जीवन के सबसे कठिन दौर से गुज़र रही थी। इस दौर में उसे किसी के सहारे की सख्त ज़रूरत थी। पर उसके आसपास उसे तसल्ली देने वाला कोई नहीं था।पिछले कई दिनों से उसकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। पर काम की व्यस्तता के कारण वह सही तरह से इलाज नहीं करा रही थी। पर एक दिन जब उसने अपने वक्ष पर