पीड़ा में आनंद - भूमिका

  • 1.2k
  • 450

पीड़ा में आनंद भूमिका पीड़ा इस शब्द से हम सभी का परिचय हैं। क्योंकि जिसमें चेतना है उसे पीड़ा की अनुभूति भी होगी। जैसे हंसना मुस्कुराना हमारे जीवित होने की निशानी है। वैसे ही पीड़ा का अनुभव करना भी हमें बताता है कि हमारे भीतर प्राणों का स्पंदन है।हम चाहे कितनी कोशिश कर लें पीड़ा से अछूते नहीं रह सकते हैं। अपने जीवन में हम कई बार और कई प्रकार की पीड़ाओं का अनुभव करते हैं। हम सभी का जीवन किसी ना किसी प्रकार की पीड़ा से घिरा हुआ है। पीड़ा से कोई बचा नहीं है।‌ हर व्यक्ति किसी न किसी तरह की पीड़ा