गत अध्याय में चावड़ी के समारोह का वर्णन किया गया है। अब इस अध्याय में बाबा की हांडी तथा कुछ अन्य विषयों का वर्णन होगा।प्रस्तावनाहे सद्गुरु साई! तुम धन्य हो! हम तुम्हें नमन करते हैं। तुमने विश्व को सुख पहुँचाया और भक्तों का कल्याण किया। तुम उदार हृदय हो। जो भक्तगण तुम्हारे अभय चरण-कमलों में अपने को समर्पित कर देते हैं, तुम उनकी सदैव रक्षा एवं उद्धार किया करते हो। भक्तों के कल्याण और परित्राण के निमित्त ही तुम अवतार लेते हो। ब्रह्म के साँचे में शुद्ध आत्मारूपी द्रव्य ढाला गया और उसमें से ढलकर जो मूर्ति निकली, वही संतों