इस अध्याय में गोवा के दो महानुभावों और श्रीमती औरंगाबादकर की अद्भुत कथाओं का वर्णन है।गोवा के दो महानुभावएक समय गोवा से दो महानुभाव श्री साईबाबा के दर्शनार्थ शिरडी आए । उन्होंने आकर उन्हें नमस्कार किया । यद्यपि वे दोनों एक साथ ही आए थे, फिर भी बाबा ने केवल एक ही व्यक्ति से पन्द्रह रुपये दक्षिणा माँगी, जो उन्हें आदरसहित दे दी गई । दूसरा व्यक्ति भी उन्हें सहर्ष ३५ रुपये दक्षिणा देने लगा तो उन्होंने उसकी दक्षिणा लेना अस्वीकार कर दिया। लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ । उस समय शामा भी वहाँ उपस्थित थे । उन्होंने कहा कि,