संत श्री साईं बाबा - अध्याय 35

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काका महाजनी के मित्र और सेठ, निर्बीज अंगुर, बान्द्रा के एक गृहस्थ की अनिद्रा, बालाजी पाटील नेवासकर, बाबा का सर्प के रूप में प्रगट होना।इस अध्याय में भी उदी का महात्म्य ही वर्णित है। इसमें ऐसी दो घटनाओं का उल्लेख है कि परीक्षा करने पर देखा गया कि बाबा ने दक्षिणा अस्वीकार कर दी। पहले इन घटनाओं का वर्णन किया जाएगा।आध्यात्मिक विषयों में साम्प्रदायिक प्रवृत्ति उन्नति के मार्ग में एक बड़ा रोड़ा है। निराकारवादियों से कहते सुना जाता है कि ईश्वर की सगुण उपासना केवल एक भ्रम ही है और संतगण भी अपने सदृश ही सामान्य पुरुष हैं। इस कारण