संत श्री साईं बाबा - अध्याय 27

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इस अध्याय में बतलाया गया है कि श्री साईबाबा ने किस प्रकार धार्मिक ग्रन्थों को करस्पर्श कर अपने भक्तों को पारायण के लिये देकर अनुग्रहीत किया तथा और भी अन्य घटनाओं का उल्लेख किया गया है।प्रारम्भजन-साधारण का ऐसा विश्वास है कि समुद्र में स्नान कर लेने से समस्त तीर्थों तथा पवित्र नदियों में स्नान करने का पुण्य प्राप्त हो जाता है। ठीक इसी प्रकार सद्गुरु के चरणों का आश्रय लेने मात्र से तीनों शक्तियों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) और परब्रह्म को नमन करने का श्रेय सहज ही प्राप्त हो जाता है। श्री सच्चिदानंद साईमहाराज तो भक्तों के लिये कल्पतरु, दया