ब्रह्मज्ञान हेतु लालायित एक धनी व्यक्ति के साथ बाबा ने किस प्रकार व्यवहार किया, इसका वर्णन हेमाडपंत ने गत दो अध्यायों में किया है। अब हेमाडपंत पर किस प्रकार बाबा ने अनुग्रह कर, उत्तम विचारों को प्रोत्साहन देकर उन्हें फलीभूत किया तथा आत्मोन्नति व परिश्रम के प्रतिफल के सम्बन्ध में किस प्रकार उपदेश किये, इनका इन दो अध्यायों में वर्णन किया जाएगा। पूर्व विषययह विदित ही है कि सद्गुरु पहले अपने शिष्य की योग्यता पर विशेष ध्यान देते हैं। उनके चित्त को किंचित्मात्र भी डावाँडोल न कर वे उपयुक्त उपदेश देकर उन्हें आत्मानुभूति की ओर प्रेरित करते हैं। इस सम्बन्ध में